Hum Aapke dil me rahate hai in Hindi Magazine by sushil yadav books and stories PDF | हम आपके डील में रहते हैं

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हम आपके डील में रहते हैं

हम आपके ‘डील’ में रहते हैं....

सूर्य-पुत्र कर्ण के बाद, आपने दूसरा दानी देखा है ....?

वे एक लाख पच्चीस हजार करोड़, दान में दे आये ....|

बिना योजना के, बिना प्लानिग के, बिना आगा पीछा देखे, दान देने वाले बहुत कम लोग इस धरती पर अवतार लेते हैं |

एक गरीब राज्य की भूमिका बांधी गई, और उस भूमिका में, देने वाले को बहाना मिल गया |

हम लोग स्टेशन में किसी भिखारी को आते देख मुह फिरा लेते हैं | कहीं कुछ देना न पड जाए के भाव हमारे दिल में बरबस उतर आता है, और वे हैं कि, बुला के देते हैं ,बोलो कितना चाहिए, दस, बीस, पचास, सौ ....फिर नोट की पूरी गडडी पकड़ा देते हैं ....| लेने वाला एक बार भौचक्क हो के मुह निहारता है. कहीं पगला तो नही गया .....?

अरे भाई वे पगलाए नहीं हैं, बस खुश हैं .....| बीबी के अनिश्चित काल के लिए मायके जाने को सेलीब्रेट कर रहे हैं | ये उनके खुश होने का स्टाइल है..... भला आप क्या कर लेंगे ....?

किसी को अगर एक सौ पच्चीस लाख करोड़ को डीजीटली लिखने को कहा जाए तो बन्दा फेल हो जाएगा, अंदाजन ये रकम १२५,०००,०००००००००० जितनी होगी ....आकडे गलत हो तो पाठक सुधार के पढ़ लें, काहे कि इतनी बड़ी रकम अपनी नजर से कभी गुजरी नहीं और न ही कभी गुजरेगी ?

दुबारा इतनी रकम के नहीं दिखने की वजह पूछो तो बताये ......?

वो ये है कि वहां उनके पुराने प्रतिद्वंदी खेमे का राज है जिन्होंने पांच करोड़ के दान को लौटा दिया था | उनके जी में आया, पांच ठुकराने वाले, ले एक सौ पच्चीस लाख करोड़ ले .....? जी भर के कुलाचे मार .....फिर न कहना कि देने वाले ने कजुसी की ...

इस रकम को आप दिल्ली से बिहार तक हाथ ठेले से, चुनावी रैली की शक्ल में भिजवायें तो, इलेक्शन के खत्म होते तक का समय, जरुर लगेगा | याद रहे, यहाँ स्कुल में पढाये जाने वाले काम, घंटा, समय, मजदूरी को केल्कुलेट करने के लिए इकानामिस्टों और गणितज्ञो की सलाह लेनी पड़ेगी| सेक्युरिटी का जबरदस्त बन्दोबस्त, बिहार होने के नाते करना पड़ेगा | खाली, इस रकम को भिजवाने में ही गरीबों, इकानामिस्टों, गणित ज्ञाताओ,सिक्युरिटी जवानो और चेनल के रिपोर्टर को अच्छा खासा ‘मंनरेगा जाब’ मुहय्या हो जाएगा |

एक अच्छे शासक की तूती, इतने जोरो से बोलेगी कि पार्टी फंड से, इलेक्शन जीतने के बाबत एक पैसा खर्च करने की नौबत ही न आये|

अपोजीशन को यह एक सीख है, देखो तुम खजाना लुटाना नहीं जानते | सात पुस्तों तक बैठे-बैठे खाएं, इस हिसाब से जोड़े रहते हो, कौन आके खायेगा ....?

इस्तेमाल करो ....का वर्षा जब कृषि सुखानी ......?

उधर मुझे रकम पाने वालो की भी फिक्र है | वे इतनी बड़ी रकम रखेंगे कहाँ ....?

देने वाला एक दिन हिसाब लेने आयेगा ....बताओ क्या किये ....?

तुम हमे वो पुल दिखाओगे, ब्रिज दिखाओगे, सरकारी इमारत दिखाओ जिसे कहते हो कि भेजे हुए पैसो से नया बनवाया है......? आप जोड़ घटा के भी खर्च न कर पाए....? रकम ज्यो की त्यों ९० परसेंट बची है ....?

तुम जनता में बुला बुला के सायकल, लेपटाप, लालटेन, साडी, घड़ी, फ्री मोबाइल, रिचार्ज, फ्री वाईफाई बाटने का दावा करोगे .....? रकम फिर भी ८० परसेंट बची है .....| इतना किया तो भी ठीक ....जनता का पैसा, जनता की जेब में गिरे, हमें कोई तकलीफ नहीं ....|

बाकी बचे पैसों के लिए, अभी मारकाट मचेगी |

हम आपके ‘डील’ में रहते हैं, के दावा करने वाले, सीधे दलाल स्ट्रीट से बोरिया बिस्तर समेट कर, बंटती हुई रेवड़ी हथियाने के चक्कर में दौड़ लगायेंगे |

यूँ लगता है, वहां के लोग तो रेलवे रिजेवेशंन काउंटर की लाइन में, अब तक लग के धक्का मुक्की कर रहे होगे ? क्या दिल्ली, क्या मुंबई, चेन्नई कलकात्ता ...सब जगह के बिहारी बन्धु जो खाने कमाने निकले रहे वापस बिहार लौटने की तैयारी में होंगे |

अच्छे दिन बाले भइय्या ने अच्छे दिन की शुरुआत बिहार से कर दी है, ये डुगडुगी ज़रा जोर से पिटवाओ | मगर इस बात की ताकीद जरुर कर लो कि रकम का भुगतान अवश्य होवे, वरना किसी ‘जुमले’ का बहाना लेकर, देने वाले की नीयत देर सबेर कब बदल जाए कह नहीं सकते |

इस रकम पर माफिया सरगनाओं की नजर भी टिकी रहेगी |

एक सौ पच्चीस करोड़ में पाए जाने वाले आर्यभट्टिय-जीरो को, जब तक वे, पीछे की तरफ से कुतर न लेवे, उनकी भूख शांत नहीं होने की ..... |

उनके बिजनेस में बहुत मंदी आ गई थी| जिसे किडनेप करो, एक रोना रोता था....... भाई बाप. सारा नम्बर दो का पैसा तो विदेशों में पडा है, लाने को मिल नहीं रहा तुम्हे क्या दें ...? हाँ ये एकाउंट नम्बर है ,वहां जा के सेफली, कुछ ला सको तो अपनी फिरौती काट के बाकी नगद हमें पकड़ा दो आपका एहसान रहेगा | उस डूबे पैसों से भागते भूत को लंगोटी और हमें पजामा जैसा, कुछ तो मिलेगा |

माफिया सरगना लोग केवल किडनेपिंग-फिरौती के बल ज़िंदा नहीं रहते | इसके अलावा, उनके दीगर ब्रांच, मसलन सरकारी ठेका उठाने या ठेका पाए ठेकेदारों को उठाने धमकाने का भी होता है | अब इतनी बड़ी रकम आ रही है तो काम के बड़े-बड़े दरवाजे खुलेंगे | छोटी-मोटी खिडकियों की धूल साफ करने के दिन बिदा होते दिख रहे हैं |

बिहार के कुत्ते भी उचक-उचक के एक दूसरे की बधाईयाँ दे रहे हैं| एक ने पूछा आदमी खुश हो रहे हैं ये तो समझ में आता है भाई, तुम लोग क्यों जश्न मना रहे हो.....? एक मरियल सा कुत्ता, पूछने वाले की नादानी पर कहता है, साफ है, बिहार में बिजली की कमी थी, नए प्रोजेक्ट में बिजली के तार खिचे जायेंगे, तार खीचने के लिए खंभे गड़ेंगे ...और खंभों से हमारी एक नम्बर वाली सुलभ शौचालय की समस्या दूर होगी कि नहीं...... ?

सबने अपने-अपने जुगाड़ ढूढने शुरू कर दिए | चलो थोड़ा आम-आदमी से भी पूछ लें ....

क्यों भाई आम आदमी ......भाषण-वाषण सुने बा .....?

आम-आदमी में आजकल सियासी-खुजली भी पाई जाने लगी है | छूटते ही कह देता है , ये सब चुनावी चोचले हैं ....साहब .| अपने दुश्मन नंबर एक को पटखनी देने के सियासी दावपेंच खेले जा रहे हैं बिहार को बीमारू कह-कह के वे चारागर बने फिरते हैं, नब्ज टटोल रहे हैं .......ये हम सब नइ जानते का .....? वे लाठी इतनी जोर से भांजना सीख गए हैं कि अगले की कमर ही तोड़ के रख दो ,जिन्दगी भर उठने न पाए.....| ये जनता को बिकाऊ समझने वाले लोग, प्रलोभन का मायाजाल बिछा के, हमारा रेड कारपेट वेलकम करने की, तकनीक विदेशों से सीख-सीख आये हैं |

देक्खते हैं... कब मिलता है...कितना मिलता है, .कहाँ और कैसे जाता है, इतना पैसा ......?