Mummatiya - 9 in Hindi Fiction Stories by Dharm books and stories PDF | मम्मटिया - 9

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मम्मटिया - 9

मम्मटियाया

By

धर्मेन्द्र राजमंगल

कमला को आज दिशा की बहुत याद आ रही थी. उसने सोच लिया था कि अब कुछ भी हो वो दिशा को अपने पास ही रखेगी. कमला को खुद पर गुस्सा भी आ रहा था. सोचती थी कि दिशा सोचती होगी कि माँ कितनी निर्दयी हो गयी कि उसे देखने भी न आई.

लेकिन कमला भी क्या करती? उसने जब शोभराज से कहा तो उसने कह दिया कि दिशा तो उसके लडके और बहू के साथ दूसरे राज्य में है. अब कमला दूसरे राज्य में कैसे जाए? जिले से दूसरे जिलें में जाने के लिए तो पैसे नही होते थे फिर इतनी दूर का किराया कैसे आये?

कमला ने शोभराज से कहा भी था कि दिशा को एक बार उसके पास घुमा ले जाए लेकिन उसने हां कहकर टाल दिया और अभी तक घुमाने न लाया. कमला को शोभराज की बातों में खोट नजर आता था लेकिन कह नही सकती थी.

लोग कहते कि एक तो दूसरा आदमी लडकी को पाल रहा है ऊपर से लांछन और लगाती है. माँ का दिल ही जानता था कि वो अपनी बेटी विना कैसे रह रही थी. ये सब वो अपनी बेटी की भलाई के लिए ही तो कर रही थी.

समय गुजर रहा था. एक दिन शोभराज दानपुर गाँव में आया. आकर सीधा आदिराज के घर रुका. कमला को शोभराज से आज दिशा के बारे में बात करनी थी. कमला ने छोटू को आदिराज के घर बैठे शोभराज को खबर भिजवा दी कि वो कमला से मिलकर जाए. शोभराज ने कमला की खबर सुनी तो आदिराज से बोला, “अच्छा भाई साहब मैं चलता हूँ. थोडा इस कमला को भी कुछ कहता जाऊं.”

आदिराज हां में सर हिलाते हुए कहा, “क्या तू इस कमला की लडकी की शादी करेगा? मेरे दिमाग से उस लडकी को फिर से यहीं लाकर पटक दे. जब ये कमला उस लडकी की शादी करेगी तो इसके अक्ल ठिकाने लग जाएगी और हो सकता है हमसे कर्जा भी ले ले?”

शोभराज ने अपने भाई की बात सुन बड़ी कुटिलता से कहा, “मेरा भी मन एक महीने पहले इसी बात को सोच रहा था लेकिन मुझे एक ऐसा लड़का मिल गया जो विना एक भी रूपये का दहेज लिए किसी लडकी से शादी करने के लिए तैयार है. बल्कि उल्टा दस पांच हजार दे और देगा.

मुझे उससे पैसे तो नही मिल पायेगे क्योंकि वो एक दूर के रिश्ते में रिश्तेदार होता है लेकिन उससे दिशा की शादी होने के बाद ये दोनों माँ बेटी जिन्दगी भर रोयेंगी. वेशक दिशा बहुत अच्छे घर लायक है. उसकी सुन्दरता की वजह से अच्छे लडके भी उसके लिए न नही कर सकेंगे लेकिन मैने जिस लडके को देखा है उसे देख तो कोई बदसूरत लडकी ही उससे शादी को मना कर देगी.”

आदिराज मन में कमला का हश्र सोच बहुत खुश हुआ. बोला, “ये काम तूने मेरे मन का किया शोभराज लेकिन अगर कमला ने उस लडके को देख मना कर दिया कि मेरी बेटी इस लडके के साथ शादी नही करेगी तो क्या होगा?”

शोभराज फटाक से बोल पड़ा, “मैं कमला को उस लडके को दिखाऊंगा तभी तो बोलेगी. मैं बातों में कमला को ऐसा उलझा दूंगा कि वो देखने की मन में भी नही सोचेगी और एक बार को वो जिद भी करके देख लेती है और शादी से इनकार करती है तो फिर में दिशा को इसके पास छोड़ जाऊंगा और कह दूंगा कि अपने आप अपने खर्चे पर शादी कर ले. मतलब हमारे दोनों हाथों में लड्डू हैं.”

आदिराज ने बड़े गर्व से अपने भाई को देखा और बोला, “तू इसके सर्वनाश में कोई कसर मत छोड़ना. इसकी लडकी को इसके खिलाफ भड़का. जिससे वो लडकी जिन्दगी भर इसको दोष देती रहे.” शोभराज फूलकर बोला, “वो सब मैं शुरू से करता आ रहा हूँ. मैंने इसकी लडकी को ये तक कह दिया है कि तेरी माँ चरित्रहीन है. आये दिन गाँव में उसको लोग गालियाँ दे दे कर जाते हैं.

उसके कुकर्मों की चर्चा सातों गाँव में हो रही है और तुम यकीन नही करोगे भाईसाहब कि वो लडकी मेरी बात पर विश्वास भी कर लेती है. वो कमला के पास घूमने की जिद भी नही करती. जबकि शुरू में कई दिन उसने मेरा जीना दुश्वार कर दिया था.”

आदिराज मन में ख़ुशी से भर उठा. उसने शोभराज की पीठ ठोंकी और बोला, “तू मुझसे भी आगे है शोभराज. चल जा अब उस कमला को उलटी पट्टी पढ़ा आ.” शोभराज ने भाई की बात पर हंसकर हां में सर हिलाया और वहां से चल कमला के घर आ पहुंचा.

कमला का सबसे पहला सवाल दिशा को लेकर ही हुआ. बोली, “दद्दा सात आठ साल से ऊपर हो गये लेकिन आप न तो लडकी को मेरे पास घुमाने लाये और न ही अपने पास बुलवाया जिससे मैं उसे देखकर आ सकूँ. आप कम से कम इतना तो समझते कि मैं उसकी माँ हूँ.”

शोभराज अपनी अकड में था लेकिन सचमुच में उसकी गलती थी. बोला, “अरे नही कमला ऐसी कोई बात नही. अब तुम जानती ही हो कि दिशा शहर में रह रही है. उसका गाँव में आने के लिए मन ही नही करता. जब दूसरे राज्य से दिशा मेरे पास घूमने आई थी तब मैने तुम्हारे पास आने के लिए कहा. उसने मुझसे साफ़ मना कर दिया. कहती थी कि मुझे गाँव नही जाना. वहां गंदगी होती है. सब लोग गरीब होते हैं. इस कारण में उसे यहाँ न ला सका.”

कमला को शोभराज की बातों पर भरोसा ही नही हो रहा था. सोचती थी कि दिशा ये बात कह ही नही सकती. आखिर वो कमला की बेटी थी और कौन लडकी होगी जो अपनी माँ के पास आने से मना करने लगे. कमला शोभराज से बोली, “दद्दा कोई बात नही लेकिन आप मुझे दिशा का पता बतला दो. वो जहाँ भी होगी मैं मिल आउंगी. कम से कम मेरे मुंह पर तो मना करे. मैं नही मानती कि दिशा मना कर सकती है.”

शोभराज थोडा हड्वड़ा गया. बोला, “अरे अब तुम्हें जाने की कोई जरूरत नही. दिशा जल्दी में तुम्हारे पास आएगी और तुम लोगों को भी दिशा के पास चलना पड़ेगा. मैंने दिशा की शादी के लिए एक लड़का देख लिया है. बहुत अच्छा और पैसे वाला लड़का है. उसकी शादी से पहले में उसे यहाँ घुमाने लाऊंगा और फिर शादी होगी तो तुम सब लोग शहर भी आना. आखिर तुम उसकी माँ हो. फिर तुम्हारे बिना उसकी शादी कैसे हो सकती है. इसलिए थोड़े समय रुक जाओ.”

कमला शोभराज की बात से थोडा संतुष्ट तो हुई लेकिन उसे इस बात का अत्याधिक आश्चर्य हुआ कि शोभराज ने दिशा के लिए लड़का भी देख लिया और बताया भी नही. आखिर दिशा उसकी लडकी थी. तो अधिकार भी उसका होना चाहिए. अपनी बेटी के लिए कौन लड़का सही है और कौन गलत है इस बात के निर्णय पर माँ का भी तो हक बनता है न.

कमला शोभराज से बोली, “दद्दा आपने दिशा के लिए लड़का भी देख लिया और मुझे बताया तक नही? कम से कम मैं भी तो एक बार उस लडके का घर बार देख लेती. मैंने तो उस लडके की सूरत तक नही देखी जो मेरी लडकी से शादी करने जा रहा है.”

शोभराज बात को हल्का करने के लिए बोला, “अरे कमला तुम हमेशा भोली की भोली ही रहोगी. मैं जब दिशा को लेकर गया था तब मैने तुमसे क्या कहा था? मैने कहा था कि उसकी शादी की जिम्मेदारी भी मेरी ही होगी और आज वो जिम्मेदारी मैने निभा भी दी. रही बात लड़का देखने की तो तुम खुद सोचो क्या मैं दिशा के लिए कोई गलत लड़का देखकर आऊंगा?

क्या मैं उसका कोई नही लगता. तुमने मुझ पर भरोसा कर अपनी लडकी मुझे दे दी तो क्या अब भरोसा नही रहा. तुम खुद सोचो कि दिशा इतने बड़े घर में जा रही है और वहां तुम लड़का देखने जाती तो तुम्हारी गरीबी की हालत देख लडके वाले शादी को राज़ी होते क्या? अब तुम्हारी लडकी उस घर में पहुंच जाए तब जितना चाहे वहां जाना. तुम तो सिर्फ इस बात की ख़ुशी मनाओ कि तुम्हारी लडकी इतने बड़े घर में जा रही है कि तुम सोच भी नही सकतीं.”

भोली भाली कमला शोभराज की बातों से भावुक हो गयी. वो ये बात भूल गयी कि लड़का देखना है या उसका घरवार देखना है. उसे बस इतना याद रहा कि उसकी लडकी बहुत अमीर और अच्छे घर में जा रही है. जो सपने देख देख कर उसका मन बुझता रहता था आज वही सच हो गया था.

वो शोभराज के चरणों को छूना चाहती थी. मन में शोभराज आज नसीब का देवता बन गया था. जिस काम को वो जिन्दगी भर सोच कर ही रह जाती उसे शोभराज ने चुटकियों में कर डाला था. उसे शोभराज से इतने बड़े काम की उम्मीद नही थी. जिस शोभराज को वह धोखेबाज समझ बैठी वो तो देवता पुरुष निकला.

कमला आँखों में आंसू भर लायी. मन भावुक हो गया. भर्राए हुए गले से बोली, “दद्दा आपका एहसान मैं जिन्दगी भर न भूलूंगी. मैं आपके चरणों को धो धो कर जिन्दगी भर पीती रहूँ तो भी कम होगा. मेरे तीनों लडके आपका जिन्दगी भर सम्मान करेंगे. दद्दा आज आप मेरा गला काट देते तो मैं वो भी माफ़ कर देती.”

इतना कहते कहते कमला लगभग रो ही पड़ी. शोभराज थोडा बैचेन हो गया. सोचता था ये औरत मुझे देवता मान रही है और में...? काश कमला भी शोभराज की हकीकत जान पाती. शोभराज चलने के लिए उठ खड़ा हुआ और बोला, “अच्छा कमला मैं चलता हूँ. जल्दी ही दिशा को यहाँ घुमाने लेकर आऊंगा.”

कमला ने भीगी आँखों से हाँ में सर हिला दिया. शोभराज कमला के घर से बाहर निकल गया. कमला उस पापी देवता को देखती रह गयी. मन में शोभराज के लिए बहुत ज्यादा सम्मान था. जैसे आज उसने कमला को अमृत लाकर दे दिया हो.

कमला ख़ुशी के मारे पागल हुई जाती थी. दिशा की शादी वाली बात सारे मोहल्ले की औरतों से कह डाली. मोहल्ले की औरतें भी ताज्जुब करतीं थी. उन्हें समझ न आता था कि शोभराज जैसा निकम्मा आदमी इतना अच्छा काम कैसे कर सकता है? कमला तो शोभराज के पुराने कृत्यों को भूल ही गयी थी. न उसे जमीन हडपने की बात ध्यान रही और न पैसों के ऐर फेर की बातें ही ध्यान रहीं. बस दिशा की शादी अच्छे घर में हो रही है यही काफी था.

***

महीना भर गुजर चुका था. कमला को शोभराज की बात बार बार ध्यान आ रही थी. उसे अपनी बेटी दिशा के आने का इंतजार था और तभी एक दिन कमला के टूटे फूटे घर के सामने एक कार आकर रुकी. कार शोभराज के लडके की थी. शोभराज के साथ उसके लडके की बहू और दिशा भी आई थी.

कमला के घर के साथ साथ पूरे गाँव में इस बात की हलचल हो गयी. सालों बाद दिशा के आने की खबर गाँव में आग की तरह फैल गयी. गाँव में किसी के घर कोई आता है तो हर आदमी उस आये हुए शख्स को देखने के लिए बैचेन होता है.

कमला के मुंह से तो बात ही न बनती थी. दिशा अब बहुत सुंदर लगने लगी थी. पहले से बहुत गोरी भी हो गयी थी. कपड़े भी बहुत अच्छे पहने हुई थी. दिशा गाँव की सबसे सुंदर लडकी लग रही थी. ऐसा गाँव के लोग और कमला कहती थी.

दिशा ने घर में आ अपनी माँ को पहचान कर 'नमस्ते' किया. माँ भावविभोर थी. वो तो दिशा को अपने गले से लगाना चाहती थी लेकिन दिशा में ऐसा कोई भाव नही था. दिशा के तीनों भाइयों ने उसके पैर छुए लेकिन दिशा ने उन्हें भी अपने गले से न लगाया.

परन्तु कमला या उसके लडकों को इस बात का जरा भी बुरा न लगा. उन्हें तो इस बात की ही बहुत ख़ुशी थी कि दिशा फिर से घर आ गयी थी. कमला के घर में सिर्फ दो ही चारपाई थीं. वो भी आधी टूटी हुई. एक पड़ोसी ने जीतू को अपने घर ले जाकर अपनी एक चारपाई दे दी जिससे आये हुए मेहमान आराम से बैठ सकें.

छोटू भागकर परचून की दुकान पर गया और चीनी चाय के साथ बिस्किट और नमकीन ले आया. आज सालों बाद कमला के घर में नमकीन बिस्किट आया था. दूध तो कम था लेकिन पानी बढ़ा कर कमला ने चाय बना डाली.

कमला के हाथ पैर फूल रहे थे. बार बार अपनी फूल सी बच्ची जो अब बड़ी हो चुकी थी उसको देखे ही जा रही थी. शोभराज के लडके की बहू पढ़ी लिखी थी. वो शोभराज के साथ ही चारपाई पर बैठ गयी. गाँव के लोगों में इस बात की बहुत घुसर पुसर हुई.

थोड़ी देर में शोभराज और उसके लडके की बहू आदिराज के घर की तरफ चले गये. दिशा कमला के पास ही रह गयी. कमला चौका में चूल्हे के सामने बैठी बैठी रोये जा रही थी. उसे अपनी बेटी की किस्मत पर नाज़ हो रहा था. सोचती थी दिशा अच्छे घर में पहुंच जाए इससे ज्यादा और क्या चाहिए.

दिशा चारपाई से उठ चौका की तरह आ खड़ी हो गयी. कमला ने झट से आंसू पोंछ लिए. मोहल्ले के लोग घर में अब भी बैठे हुए थे लेकिन चौका में सिर्फ ये दोनो माँ और बेटी ही थीं. कमला ने दिशा का हाथ पकड़ उसे अपने पास बिठा लिया और बोली, “तू ठीक है बेटा. तुझे शहर में मेरी याद नही आती थी?”

दिशा का चेहरा भावहीन था. उसने कमला की बात का जबाब न दिया. बोली, “माँ तुम्हारी गरीबी अभी तक वैसी की बैसी ही है. मेरे जाने के बाद से तो और ज्यादा बुरी हालत हो गयी है.”

कमला दिशा की बात सुन शांत सी हो गयी. वो अपनी बेटी को अपना दुःख दिखाना नही चाहती थी. बोली, “कोई बात नही बेटा. सब ठीक हो जायेगा. अब तेरे भाई बड़े हो रहे हैं. ये लोग कमाएंगे तो सारी गरीबी जाती रहेगी. ख़ैर तू सुना. तेरे बारे में सुन मुझे बहुत ख़ुशी हुई. तुझे अच्छा घरवार मिल जायेगा. लड़का भी ठीक मिल जायेगा. बस अब मुझे कोई चिंता नही. अच्छा दिशा तूने वो लड़का देखा है जिससे तेरी शादी हो रही है.”

दिशा तिरिस्कारपूर्ण हंसी हँस बोली, “नही माँ. मैने अभी तक उस लडके को नही देखा लेकिन एक दो जने ने मुझे बताया था कि लड़का ठीक है. पर मुझसे तो पूंछा भी न गया कि मैं शादी करुँगी कि नही? सब तय करने के बाद मुझे सिर्फ बताया गया.

लेकिन तुम्हें इस बात से क्या करना माँ. तुमने तो एक बार भी मुझसे जाकर ये न पूंछा कि मैं कैसी हूँ? न ही मुझसे मिलने आयीं और आज पूंछती हो कि मैं तुम्हारी याद करती थी या नही? आप को क्या पता कि मैने क्या क्या सहा है? शायद आकर देखतीं तो पता चलता.”

कमला का दिन अपनी बेटी की बातों से कुम्हला गया. कमला सोचती थी कि उसकी बेटी वहां बहुत खुश है लेकिन दिशा की शादी अच्छे घर में हो रही है ये सोच अब भी संतोष था. बोली, “चल बेटा मानती हूँ मुझसे गलती हुई लेकिन मैने शोभराज दद्दा से कई बार तुझसे मिलने की कही लेकिन हर बार वो टाल देते थे. अब तुझे पढाया लिखाया और अच्छे घर में शादी कर रहे हैं ये क्या कम है? बेटा हम तो इस लायक भी नही थे कि तेरा पेट भर सकें. तेरी शादी के दहेज़ की तो बात ही बहुत दूर हो जाती है.”

दिशा फिर फीकी हँसी हँसते हुए बोली, “पढाई के नाम पर तो मैंने एक अक्षर भी नही पढ़ा माँ. यहाँ से ले जाते ही इन लोगों ने मुझे घर के कामों पर लगा दिया. पढाई लिखाई का तो कभी जिक्र भी नही किया. इससे तो बढिया में यही रहती तो ठीक था.”

कमला हैरत के मारे मरी जाती थी. शोभराज ने उसे वादा किया था कि वो दिशा को पढ़ायेगा लिखायेगा. अपनी बेटी की तरह रखेगा लेकिन सब झूठ था. कोरा झूठ. उसके साथ धोखा हुआ था. सरासर धोखा. लेकिन अब समय बहुत आगे बढ़ गया था. खेत को चिड़िया चुंग गयी थी. गुजरे हुए वक्त की भरपाई भी अब नही हो सकती थी.

कमला की आँखों में आंसू थे और दिशा भी भावुक थी. दो औरतें एक दूसरे से दुखों को बाँट रहीं थी. ऊपर से दोनों माँ बेटी थीं. वो माँ और बेटी जिनसे एकदूसरे की कोई बात छुपी नही होती. कमला ने दिशा के सर पर बड़े प्यार से हाथ रखा.

दिशा आज कई सालों बाद माँ के प्यार को महसूस कर रही थी. बोली, “माँ कही ये शादी भी तो ऐसा ही धोखा तो नही होगी? अगर हुई तो फिर मैं क्या करुँगी? मेरी तो जिन्दगी ही खराब हो जाएगी माँ.”

कमला का दिल फटने को होता था. जो डर उसकी बेटी को था वही डर माँ कमला को भी था. लेकिन कमला का दिल अब भी शोभराज को कम से कम इतना निर्दयी तो नही मानता था. वो अपने मन के साथ साथ दिशा को समझाती हुई बोली, “नही बेटा ऐसा कुछ नही होगा. भगवान इतना भी निर्दयी नही होगा कि एक लडकी को कुए में धकेल दे.

मैं तेरे लिए भगवान से भीख मांगूंगी. फिर सब ठीक हो जायेगा बेटा. तू चिंता मत कर. मैं अगर गरीब न होती तो तुझे कभी इस तरह अपने से दूर न रखती. मैं खुद तेरी शादी करती लेकिन बेटा एक औरत का काम ही अपना त्याग कर दूसरों को सुखी करना होता है. तू भी एक औरत है. हो सकता है तेरे इस त्याग से भगवान खुश हो तुझे बहुत अच्छे घर में पहुंचा दे.”

दिशा ने रोते हुए हाँ में सर हिला दिया. दिल में उम्मीद फिर से जागने लगी. शोभराज ने दिशा से कमला की बहुत सी बुराइयाँ कीं थीं. बहुत से लांछन लगाये थे. दिशा तब कमला के प्रति बहुत क्रोध रखती थी लेकिन कमला उसकी माँ भी थी और माँ के सामने आ दिशा कुछ भी न कह सकी.

अभी कुछ और बातें होतीं उससे पहले शोभराज अपने लडके की बहू के साथ कमला के घर आ पहुंचा और बोला, “अरे भई माँ बेटी में क्या बातें हो रहीं हैं?” दिशा और कमला ने अपनी आँखों से आंसू पोंछ लिए. शोभराज आदिराज के घर से बहुत जल्दी चला आया था. शायद उसको डर था कि कही दिशा सारी बातें अपनी माँ को न बता दे. कमला शोभराज की बात का जबाब देती हुई बोली, “कुछ नही दद्दा. बस पुरानी बातें छिड़ गयीं थीं.”

शोभराज जल्दी करते हुए बोला, “अच्छा कमला अब हम लोग चलते हैं. चलो दिशा हमें देर हो रही है.” कमला का दिल धुकधुका उठा. बोली, “दद्दा दिशा को दो चार दिन यहीं रहने दीजिये. अभी तो घंटा भर भी नही हुआ इसको आये हुए.”

शोभराज जल्दी से बोल पड़ा, “अरे नही कमला. ये इस वक्त नहीं रुक सकती. शादी की तैयारी भी तो करनीं हैं इसकी. अब शादी हो जाने दो उसके बाद जी भर के इसको रोका करना. अरे भई तुम्हारी लडकी है तो शादी के बाद तुम्हारे ही घर पर आएगी. मैं तो बस शादी होने तक इसको अपने पास रख रहा हूँ.”

शोभराज की इस बात के बाद न तो दिशा ही कुछ बोल पायी और न कमला ही कुछ बोल सकी. दिशा को देख कमला को लग रहा था कि वो शोभराज से बहुत डरती है. उसे अपनी बच्ची को आज अपने से दूर करते हुए बहुत दुःख हो रहा था लेकिन न जाने ऐसा क्या था कि वो शोभराज की बात को टाल न सकी.

शायद अपनी बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित होना एक कारण हो सकता था. एक गरीब विधवा माँ के लिए अपनी बेटी के बारे में कोई भी निर्णय लेना बहुत मुश्किल हो रहा था. जबकि वो निर्णय उसकी जिन्दगी से जुडा हुआ था.

कमला ने हाँ में सर हिला दिया. कमला का मन दिशा से अभी और बातें करना चाहता था लेकिन समय इस बात की हरगिज भी इजाजत न देता था. दिशा भी माँ की तरफ बड़ी भूखी नजरों से देख रही थी मानो अभी माँ से बहुत कुछ कहना चाहती हो लेकिन अपने घर की गिरती हालत देख कुछ भी न कह पा रही थी.

भाइयों के पुराने फटे हुए कपड़े देख उसका जी जलता था. माँ को जिस हालत में छोड़ कर सालों पहले गयी थी आज भी माँ उसकी हालत में रह रही थी. आज भी सवा सौ ग्राम दूध आ रहा था. दिशा सोचती थी कि माँ के पास जायेगी तो कुछ अपने लिए मांग लेगी लेकिन यहाँ तो खुद भुखमरी फैली हुई थी. माँ और भाइयों को देख लगता था जैसे इन लोगों को सिर्फ एक समय खाना मिलता है.

दिशा शोभराज के पीछे पीछे बाहर की तरफ चल दी. कमला और उसके तीनों लडके भी अपने घर की लाडली को देखने के लिए उन सब के पीछे चल दिए. दिशा तो भावुक थी ही लेकिन कमला हद से ज्यादा भावुक हो रही थी.

दिशा अभी कुछ बातों को माँ से पूछना चाहती थी क्योंकि शोभराज ने कमला की कई बुराइयाँ दिशा से जाकर कहीं थी लेकिन आज दिशा ने जब घर की हालत देखी तो एकबारगी उसे शोभराज की बातें पूर्णतया मिथ्या लगीं.

सब लोग गाड़ी में बैठ गये. दिशा भी गाडी में बैठी कभी अपनी माँ को देखती तो कभी अपने भाइयों को और कभी अपने जर्जर होते घर को. सब के सब उसे वेगाने और नीरस लगते थे. सोचती थी कि अगर ये सब अपने होते तो वो इनसे दूर क्यों रह रही होती?

तभी गाडी धीरे धीरे आगे को बढ़ चली. कमला की आँखों से झरना वह उठा. वेवश विधवा कमला अपनी सगी बेटी को अपने घर में रख तक न सकती थी और न ही उसका अपने हाथों से विवाह ही कर सकती थी.

थोड़ी ही देर में गाडी आँखों से ओझल हो गयी. कमला बुझे मन और थके कदमों से बच्चों के साथ अपने घर में आ गयी. हर समय इधर से इधर भाग कर काम करते रहने वाली कमला को इस वक्त लगता था कि अब वो कभी कोई काम न कर पायेगी. आज भगवान से उसकी सारी उम्मीदें खत्म सी हो गयीं थीं.

उसे लगता था भगवान उसकी सुनता ही नही है. दुःख पर दुःख देने वाले भगवान ने आज एक और दुःख कमला को दे दिया था. वो अपनी बेटी को जितना सुखी समझती थी वो सब आज गलत निकला था. कमला वेशक दिशा के सामने न कह सकी लेकिन उसे आशंका थी कि पता नही शोभराज कैसे घर में शादी करा रहा है. पल पल मन को सम्हालती कमला भगवान से सब ठीक कर देने की गुहार किये जा रही थी.