इस कहानी में भारतीय सैनिकों की बहादुरी और विशेष रूप से बाबा हरभजन सिंह की वीरता का उल्लेख किया गया है। हरभजन सिंह, जिन्होंने 27 साल की उम्र में अपने देश की सेवा करते हुए जान दी, आज भी सैनिकों के बीच एक प्रतीक के रूप में जीवित हैं। सैनिकों का मानना है कि वह उनकी रक्षा करते हैं और उन्हें हमलों से पहले जानकारी देते हैं। हरभजन सिंह की मृत्यु 4 अक्टूबर 1968 को हिमालय क्षेत्र में हुई थी जब वह ड्यूटी पर थे। सैनिकों के लिए उनकी याद में एक खाली कुर्सी रखी जाती है, और उनकी वीरता को सम्मानित किया जाता है।
भारत के वीर
by Anubhav verma
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Hindi Magazine
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Description
इस कदर वाकिफ़ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूं तो इंक़लाब लिखा जाता है . भगत सिंह के इस वाक्य से तो आप वाकिफ़ ही होंगे. देशभक्ति उनके अंदर इस कदर हावी थी कि वो हर पल देश के बारे में सोचते रहते थे. देश को आज़ाद करवाने में कई सपूतों की महत्वपूर्ण भूमिका रही. वहीं आज़ादी के बाद भी देश पर दुश्मनों ने कई बार हमले किए, ऐसे में देश के सच्चे सपूतों ने न सिर्फ़ पलट कर जवाब दिया बल्कि उनका जीना दुश्वार भी कर दिया. इन युद्धों में हमने कई जवानों को खोया है, कुछ का नाम हमारे ज़ेहन में है तो कुछ जवान अभी भी गुमनामी की ज़िंदगी जी रहे हैं. लेकिन हम आज आपको ऐसे ही बहादुर जवानों से मिलवाने जा रहे हैं जिनके बारे में जान कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा.
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