Gaban - Part - 3 book and story is written by Munshi Premchand in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Gaban - Part - 3 is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. गबन अध्याय 3 by Munshi Premchand in Hindi Short Stories 13 5.1k Downloads 18k Views Writen by Munshi Premchand Category Short Stories Read Full Story Download on Mobile Description ग़बन प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास है। ‘निर्मला’ के बाद ‘गबन’ प्रेमचंद का दूसरा यथार्थवादी उपन्यास है। कहना चाहिए कि यह उसके विकास की अगली कड़ी है। ग़बन का मूल विषय है - महिलाओं का पति के जीवन पर प्रभाव । ग़बन प्रेमचन्द के एक विशेष चिन्ताकुल विषय से सम्बन्धित उपन्यास है। यह विषय है, गहनों के प्रति पत्नी के लगाव का पति के जीवन पर प्रभाव। गबन में टूटते मूल्यों के अंधेरे में भटकते मध्यवर्ग का वास्तविक चित्रण किया गया। इन्होंने समझौतापरस्त और महत्वाकांक्षा से पूर्ण मनोवृत्ति तथा पुलिस के चरित्र को बेबाकी से प्रस्तुत करते हुए कहानी को जीवंत बना दिया गया है। इस उपन्यास में प्रेमचंद ने पहली नारी समस्या को व्यापक भारतीय परिप्रेक्ष्य में रखकर देखा है और उसे तत्कालीन भारतीय स्वाधीनता आंदोलन से जोड़कर देखा है। सामाजिक जीवन और कथा-साहित्य के लिए यह एक नई दिशा की ओर संकेत करता है। यह उपन्यास जीवन की असलियत की छानबीन अधिक गहराई से करता है, भ्रम को तोड़ता है। नए रास्ते तलाशने के लिए पाठक को नई प्रेरणा देता है। इसी समय जालपा को अपनी माता का भेजा हुआ चन्द्रहार मिलता है, किंतु दया में दिया हुआ दान समझकर वह उसे स्वीकार नहीं करती। अब रमानाथ में जालपा के लिए गहने बनवाने का हौसला पैदा होता है। इस हौसले को वे सराफों के कर्ज़ से लद जाने पर भी पूरा है। इन्दुभूषण वकील की पत्नी रतन को जालपा के जड़ाऊ कंगन बहुत अच्छे लगते हैं। वैसे ही कंगन लाने के लिए वह रमानाथ को 600 रुपये देती है। सर्राफ इन रुपयों को कर्जखाते में जमाकर रमानाथ को कंगन उधार देने से इंकार कर देता हैं। रतन कंगनों के लिए बराबर तकाज़ा करती रहती है। अंत में वह अपने रुपये ही वापस लाने के लिए कहती है। उसके रुपये वापस करने के ख्याल से रमानाथ चुंगी के रुपये ही घर ले आते हैं। उनकी अनुपस्थिति में जब रतन अपने रुपये माँगने आती हैं तो जालपा उन्हीं रुपयों को उठाकर दे देती हैं। घर आने पर जब रमानाथ को पता लगा तो उन्हें बड़ी चिंता हुई। ग़बन के मामले में उनकी सज़ा हो सकती थी। सारी परिस्थिति का स्पष्टीकरण करते हुए उन्होंने अपनी पत्नी के नाम एक पत्र लिखा। वे उसे अपनी पत्नी को देने या न देने के बारे में सोच ही रहे थे, कि वह पत्र जालपा को मिल जाता हैं। उसे पत्र पढ़ते देखकर उन्हें इतनी आत्म- ग्लानि होती है कि वे घर से भाग जाते हैं जालपा अपने गहने बेचकर चुंगी के रुपये लौटा देती है। इसके पश्चात कथा कलकत्ते की ओर मुड़ती है। Novels गबन ग़बन प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास है। ‘निर्मला’ के बाद ‘गबन’ प्रेमचंद का दूसरा यथार्थवादी उपन्यास है। कहना चाहिए कि यह उसके विकास की अगली कड़ी है। ग़ब... More Likes This वो यादगार लम्हे, वो सच्ची दोस्ती by R B Chavda दादीमा की कहानियाँ - 2 by Ashish My Devil Hubby Rebirth Love - 46 by Naaz Zehra अकेलापन by Kahani Sangrah मझली दीदी by S Sinha बुजुर्गो का आशिष - 2 by Ashish नो मोर अभी नहीं by S Sinha More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories