दो बूँद आँसू - भाग 4 (अंतिम भाग) Pradeep Shrivastava द्वारा Fiction Stories में हिंदी पीडीएफ

Do Bund Aanshu by Pradeep Shrivastava in Hindi Novels
सकीना यह समझते ही पसीना-पसीना हो गई कि वह काफ़िरों के वृद्धाश्रम जैसी किसी जगह पर है। ओम जय जगदीश हरे . . . आरती की आवाज़ उसके कानों में पड़ रही थी। उसने...