रेत होते रिश्ते - भाग 4 Prabodh Kumar Govil द्वारा Classic Stories में हिंदी पीडीएफ

Ret hote Rishtey by Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
एकरात के दो बजे थे, लेकिन कमरे की बत्ती जली हुई थी। मँुह से चादर हटाकर मैंने देखा तो अवाक् रह गया। शाबान रो रहा था। मैंने उठकर घड़ी एक बार फिर देखी और...