वो रात कुछ और थी - 2 Karunesh Singh द्वारा Love Stories में हिंदी पीडीएफ

Wo Raat Kuchh Aur Thi by Karunesh Singh in Hindi Novels
इतनी बेचैनी, इतनी घबराहट शायद ही कभी वर्तिका को हुई थी जितनी आज हो रही थी। रह रह कर घड़ी देखना, कभी माथे पे लटकती लटो को कान के पीछे करना तो कभी अपने क...