सबा - 18 Prabodh Kumar Govil द्वारा Philosophy में हिंदी पीडीएफ

Sabaa by Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
तेरी पगार कितनी है?
- तीन हज़ार!
- महीने के?
- और नहीं तो क्या, रोज़ के तीन हज़ार कौन देगा रे मुझको?
- ऐसा मत बोल, दे भी देगा! उसने कनखियों से लड़...