वजूद - 18 prashant sharma ashk द्वारा Fiction Stories में हिंदी पीडीएफ

Wajood by prashant sharma ashk in Hindi Novels
शंकर ओ रे शंकर।

हां भाभी, क्या हुआ काहे हमारा नाम पुकारे जा रही हो ?

अरे वक्त देख। तेरे भैया वहां खेत पर खाने की राह देख रहे होंगे और तू यहां खा...