लहरों की बाांसुरी - 3 Suraj Prakash द्वारा Fiction Stories में हिंदी पीडीएफ

Lahero ki Bansuri by Suraj Prakash in Hindi Novels
रचना काल 2015

अभी वाशरूम में हूँ कि मोबाइल की घंटी बजी है। सुबह-सुबह कौन हो सकता है। सोचता हूँ और घंटी बजने देता हूँ। पता है जब तक तौलिया बाँध कर ब...