सफर से पहले ही - 4 Kishanlal Sharma द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Safar se pahle hi by Kishanlal Sharma in Hindi Novels
सूरज कब का दूर क्षितिज में ढल चुका था।शाम अपनी अंतिम अवस्था मे थी।आसमान से उतर रही अंधेरे की परतों ने धरती को अपने आगोश में समेटना शुरू कर दिया था।प्ल...