पकडौवा - थोपी गयी दुल्हन - 12 - अंतिम भाग Kishanlal Sharma द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Pakdova by Kishanlal Sharma in Hindi Novels
सूरज ढल रहा था।ढलते सूरज की तिरक्षी किरणें नदी के बहते पानी मे पड़ रही थी।अनुपम नदी के किनारे एक पत्थर पर बैठा बहते हुए पानी को देख रहा था।जब भी उसका म...