आत्मग्लानि - भाग -2 Ruchi Dixit द्वारा Short Stories में हिंदी पीडीएफ

Aatmglani by Ruchi Dixit in Hindi Novels
माई थब थाई दये !! तैं दंदी है | तै हमछे बात न कलिहै | आज यह स्वर कानो मे गूँज कर एक अपराध बोध के साथ हृदय को दृवित करे जा रहा है | बात उन दिनो की है ज...