ख़ाम रात - 4 Prabodh Kumar Govil द्वारा Classic Stories में हिंदी पीडीएफ

Khaam Raat by Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
मैंने नींद से जाग कर फ़ोन हाथ में उठाया ही था कि उस व्हाट्सएप मैसेज पर नज़र पड़ी। लिखा था- जब फ़्री हों बात करें।
मैसेज के साथ डीपी पर भी दृष्टि गई औ...