मृगतृष्णा तुम्हें देर से पहचाना - 7 - अंतिम भाग Ranjana Jaiswal द्वारा Fiction Stories में हिंदी पीडीएफ

Mrugtrushna tumhe der se pahchana by Ranjana Jaiswal in Hindi Novels
मैं जब भी आपके बारे में सोचती हूँ तो महात्मा गाँधी की शक्ल सामने आ जाती है। बुढ़ापे में आप लगभग उन्हीं की तरह लगते थे। खल्वाट सिर, लम्बी नासिका, छोटी आ...