अक्षम्य अपराध - अंतिम भाग Rama Sharma Manavi द्वारा Crime Stories में हिंदी पीडीएफ

Akshmya Apradh by Rama Sharma Manavi in Hindi Novels
प्रस्तर मूर्ति के समान स्थिर बैठी दिव्या निर्निमेष,सूनी अश्रुविहीन नेत्रों से सामने की दीवार देखे जा रही थी।सफेद चेहरे पर ठहरी हुई पुतलियां इंगित क...