सरहद - 6 - अंतिम भाग Kusum Bhatt द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Sarhad by Kusum Bhatt in Hindi Novels
चीड़ के पेड़ों की टहनियां तेज हवा के दबाव से जोरां से हिलती हैं सायं-सायं के कनफोडू षोर से काँंप उठती हूँ। इन चीड़ों से ढेर सूखी पिरूल भी लगातार झर रही ह...