सरहद - 3 Kusum Bhatt द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Sarhad by Kusum Bhatt in Hindi Novels
चीड़ के पेड़ों की टहनियां तेज हवा के दबाव से जोरां से हिलती हैं सायं-सायं के कनफोडू षोर से काँंप उठती हूँ। इन चीड़ों से ढेर सूखी पिरूल भी लगातार झर रही ह...