Description
कहानी —- इस्तीफ़ा—— अमृता सिन्हा जबसे सिस्टर जूही स्कूल की प्रिंसिपल बनकर आयी हैं तब से पूरे स्टाफ़ रूम में हड़कंप मचा रहता है। स्कूल में अनुशासन पहले भी थापर इन दिनों उनकी तरफ़ से कई नए नियम लागू कर दिए गए हैं जिसके कारण पूरे दिन प्राय: सभी टीचर को सात से आठ पीरियडस लेने ही पड़ते, ऊपर से कॉपी-करेक्शन अलग से तो करना ही होता ।अब तो टिफ़िन टाइम में भी खाने की फ़ुरसत नहीं रहती, आए दिन प्ले ग्राउंड में भी ड्यूटी लगती ।उधर बेचारे बच्चों को टिफ़िन टाइम में भी मन के अनुसार खेलने की आज़ादी नहीं मिलती ,जब देखो तब टीचर की रोक टोक। खेल के मैदान में टीचर की निगरानी में दो -एक दिन तो उनमें झिझक रही , पर धीरे - धीरे सब इसके अभ्यस्त होने लगे । फिर तो वही पुरानीउछलकूद और धमा चौकड़ी । पर , अगर किसी को मुश्किल होती , तो वे थे टीचर , जिनकी ड्यूटी लगती क्योंकि जिस टीचर की ड्यूटी टिफ़िन टाइम में लगती , उसे उस दिन तो पानी पीकर ही रह जाना होता क्योंकि धूल भरे मैदान में कोई टिफ़िन खाये भी तो कैसे।कोमल को स्कूल ज्वाइन किए छ: महीने ही हुए थे ।उसके पति स्थानीय स्टील कंपनी में अधिकारी थे , ज़्यादातर अपने काम में व्यस्तरहते और बच्चे भी बडे़ हो रहे थे तो जब उसे सहेली निकिता से मालूम हुआ कि वह जहाँ पढ़ाने जाती है वहाँ टीचर की एक पोस्ट ख़ाली है तो ख़ुद को रोक नहीं पाई । पढ़ाने में कोमल की पहले से ही गहरी रूचि थी सो बिना देर किये, आनन- फ़ानन में ही स्कूल में एकअर्ज़ी दे दी और जल्द ही अस्थायी टीचर के रूप में नियुक्ति भी मिल गई ।वह खुश थी अब जीवन में एक अनुशासन रहेगा ।स्कूल में भी जल्द ही वह बच्चों के साथ ख़ूब हिल मिल गयी बल्कि , जबसे उसने स्कूल ज्वाइन किया था उसके चेहरे पर भी ख़ूब रौनक़ दिखने लगी थी क्योंकि इस अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल को ज्वाइन करना उसका सपना था ।हलाँकि,जिस क्लास थ्री के बी सेक्शन की क्लास टीचर उसे बनाया गया था उस क्लास के लड़के बेहद शरारती थे । पर कोमल मिस केपढ़ाने का ढंग इतना सरल और अपनापन भरा था कि पूरी क्लास के बच्चे काफ़ी हद तक आज्ञाकारी छात्र हो चले थे ।शुरू -शुरू में तो इन शरारती बच्चों ने उसे ख़ूब सताया पर फिर भी कोमल मिस बड़े मनोयोग से उन्हें पढ़ातीं और अपने पढ़ाने के तरीक़े में तरह -तरह कीएक्टिविटीज में भी शामिल करतीं , जिससे बच्चों को उनकी क्लास में मज़ा आता और सीखने को भी मिलता । रोज़ ठीक 9 बजे सुबह स्कूल बस घर के सामने रुकती और स्कूल में छुट्टी होने के बाद ठीक तीन बजे तक कोमल इसी बस से वापसघर पहुँच जाती । स्कूल से थक कर आने पर घर में भी कई काम होते और उन सबको निपटाना होता ।सौभाग्य से कोमल की सहायता केलिए शोभा थी जो फ़ुल टाइम उसके ही आहते में आउटहाउस में रहती थी।वैसे भी इतने बड़े बंगले को संभालना कोमल के अकेले के वश में था भी नहीं और ऊपर से दो शेखचिल्ली बेटे अनंत और मिलन उसे चैन नहीं लेने देते , आनंद वैसे ही ऑफिस से देर शाम को लौटते और कभी मीटिंग हो जाती तो रात भी हो जाती । ऐसे में शोभा और उसकापति हरि ही काम आता, कभी साग-सब्ज़ी लाना हो या और कोई सामान हरि हमेशा तैयार रहता । बाहर का पूरा बगान भी उसी के ज़िम्मेथा ।रोज़ की तरह उस दिन भी, स्कूल से आते ही लंच के बाद वह बच्चों को होमवर्क करवाने लगी फिर थोड़ा आराम करना चाह रही थी पर बच्चों ने टीवी की आवाज़ इतनी तेज़ कर रखा था कि चाह कर भी नींद नहीं आई तब कोमल ने दूसरे दिन की तैयारी करना ही ठीकसमझा । तभी शोभा वहाँ शोभा चाय लेकर आ गई । आते ही चाय साइड टेबल पर रखते हुए उसने पूछा - दीदी कल सुबह के लिए क्यातैयारी करूँ ? टिफ़िन में क्या लेकर जाएँगी और कल दोपहर के खाने में क्या बनेगा ये भी बता दीजिए । अरे शोभा अच्छा हुआ तुम आ गई मैं तुम्हें ही याद कर रही थी। कल टिफ़िन में भरवा बैंगन के साथ पराठे दे देना। वो मिसेज़ कार है न्उनको तुम्हारे हाथ के भरवा बैंगन बहुत पसंद है और हाँ पराठों के बीच अजवाइन डालना न भूलना ।जी मैडम , कह कर शोभा वापस चली गई।शोभा को निर्देश देने के बाद कोमल लेसन - प्लान बनाने बैठ गई ।हर सप्ताह लेसन- प्लान की डायरी प्रिंसिपल रूम में पहुँचाना ज़रूरी होता , सिस्टर की असिस्टेंट मिस जेनी सारी डायरियों को जमाकरअपने डिस्प्ले टेबल पर रख देती। मजाल है कि कोई टीचर अपनी डायरी लाना भूल जाए फिर तो सिस्टर का कोपभाजन होना निश्चितथा ।सभी को अपने लेसन प्लान के अनुसार ही पढ़ाना पड़ता । वैसे तो पहले भी यही रूटीन फ़ॉलो किया जाता पर जब से सिस्टर ने ज्वाइनकिया है तब से इन नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है ।क्लास लेने के समय में पढ़ाते पढ़ाते टीचर जो पीछे मुड़ता तो देखतासिस्टर जूही पिछली बेंच पर बच्चों के साथ बैठी हुई हैं और और पूरी क्लास में पिन ड्रॉप साइलेंस है। उस दिन कोमल के साथ भी ऐसा ही हुआ अपनी क्लास के लड़कों को ब्लैक बोर्ड पर लिखकर कुछ समझा रही थी कि पीछेमुड़ते ही देखा उसने कि सिस्टर आख़िरी बेंच पर बैठी हैं और उसी बेंच पर दो बच्चे और भी बैठे हैं। कोमल सिस्टर को अनदेखा कर पढ़ातीगई पर टाइम हो गया था और बेल रिंग होते ही पीरियड ओवर हो गया ।क्लास से छूटते ही सभी बच्चे अपने अपने टिफ़िन के साथकॉरिडोर में इधर - उधर भागने लगे चारों तरफ़ ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें आ रही थीं । रीसस के समय सभी टीचर स्टाफ़ रूम में आ गए पूरेस्टाफ़ रूम में रोज़ की तरह गहमागहमी थी । तभी कृति मिस ने कोमल को एक तरफ़ कोने में बुलाया ।कोमल आय हैव ब्रॉट सम हैडीक्राफ्टस एंड बेड लिनेन टू सेल ।इफ़ यू वांट यू कैन हैव ए लुक एट लीस्ट | आर यू फ़्री नाउ ? यस कृति दिस इज़ माय फ़्री पीरियड ।कोमल को जिज्ञासा हुई कि देखा जाये क्या चीज़ें लाई हैं कृति मिस ।दोनों अपने में मशगूल थीं कि सिस्टर जूही स्टाफ़ रूम के पास से गुजरते हुए फ़र्स्ट फ़्लोर पर चली गईं ।ये बेडकवर बड़े सुंदर हैं कृति मिस ।इसे मैं ख़रीद लूँगी ।ओके, ये आख़िरी पीस बची है कोमल , ठीक है इसे आपके लिए रख देती हूँ।कृति मिस के बारे में क़रीब क़रीब सभी स्टाफ़ को पता था कि उनकी माँ को कैंसर का सेकेंड स्टेज है और पिताजी भी अक्सर बीमार रहाकरते हैं। पूरे घर का भार कृति मिस पर ही था, इसी वजह से मेरे स्कूल में भी कुछ सामान बेचने को ले आती थी हालाँकि स्कूलों में इस तरह के काम करने की सख़्त मनाही थी।फिर भी कृति अक्सर सामान लाकर बेचती और जिनको ज़रूरत होती वे लेते भी पर पूरे गोपनीय तरीक़े से ।सिस्टर तक ये बात न पहुँचेइस बात का ख़ास ख़्याल रखते सब ।कोमल ने बेडकवर को अपने बैग में रख लिया और उसके पैसे कृति को दे कर क्लास लेने चली गई ।दूसरे दिन , आख़िरी पीरियड में जब कोमल अपने क्लास में थी तभी सिस्टर जूही ने मैसेज भिजवाया की छुट्टी होने के बाद प्रिंसिपलऑफ़िस में आ जाए क्योंकि उन्हें बात करनी है । कोमल समझी नहीं कि अचानक सिस्टर का बुलावा क्यों आया ? जैसे छुट्टी की बेल रिंग हुई कोमल के दिल की धड़कन तेज़ हो गई , यूँ बेवजह प्रिंसिपल ऑफिस से बुलावा आना उसे हज़म नहींहो रहा था ।सभी बच्चों को लाइन में लगा कर कोमल खड़ी होकर उन्हें देखती रही सभी बच्चे बारी - बारी नीचे उतर कर स्टेज की ओरजा रहे थे और बाद में पीछे - पीछे उनके क्लास-टीचर थे । कोमल ने भी बच्चों के साथ एसेंबली तक जाने की ड्यूटी निभा कर ऑफिस की ओर मुड़ गई । ऑफिस पहुँच कर कोमल ने देखा कि सिस्टर नीची निगाह किए हुए रजिस्टर में कुछ लिख रही हैं , आहट पाते ही उन्होंने अपनाचश्मा ऊपर करते हुए इशारे से कोमल को भीतर आने की इजाज़त दी और बैठने को कहा । रजिस्टर बंद कर अपनी नाक पर से सरकतेचश्मे को ठीक करते हुए सीधे मुद्दे पर आ गईं ।कोमल व्हाट आर यू सेलिंग इन द स्टॉफ रूम ?कोमल अवाक् , उसे ज़रा भी अहसास न था कि सिस्टर ऐसे कोई सवाल करेंगी , जिससे उसका कोई वास्ता ही नहीं है ।उसे तो लगाउसके पढ़ाने से संबंधित कोई बात होगी जिसे डिस्कस करना चाहती हों सिस्टर । पर यहाँ तो मामला ही कुछ और है ...कोमल थोड़ा संभलते हुए बोली - बट सिस्टर आय हैव नॉट डन एनीथिंग । इन फ़ैक्ट आय वुड लाइक़ टू नो दैट वॉट आर यू टॉकिंगअबाउ्ट ?तब सिस्टर ने और भी कई बातें कहीं जिससे कोमल को बहुत बुरा लगा ।अपनी बातों को पूरा करते हुए सिस्टर ने कहा - समबडी हेज़ कम्पलेंट अंगेंस्ट यू ।.........एनी वे , मिस कोमल , मीट मी टूमॉरो ।कोमल आफ़िस से निकल कर बाहर तो आ गई पर उसके माथे पर बल थे , उसे समझ में नहीं आ रहा था कि माजरा क्या है आख़िरकिसने शिकायत की उसके ख़िलाफ़ ।कहीं ये सिस्टर की कोई चाल तो नहीं , कहीं किसी और कैंडिडेट को तो नहीं लाना है मेरी जगह..... सोचते हुए कोमल अपने बैग को सँभालते हुए एसेंबली की ओर बढ़ी, पर वहाँ से बच्चे बस और निजी वाहन के लिए निकल चुके थेऔर बाक़ी टीचर्स भी घर जाने के मूड में थे ।कोमल चुपचाप भीड़ के साथ मेन गेट की ओर बढ़ गई । अभी भी ऊहापोहों में उलझी कि आख़िर ये किसकी साज़िश हो सकती है । दूसरे दिन स्कूल पहुँच कर कोमल ने चुपचाप एसेंबली अटेंड किया और अपने क्लास के बच्चों के साथ सीधे ऊपर वाले क्लास मेंचली गई ।आज उसका स्टॉफ रूम में जाने का हर्गिज मन न था।अटेंडेंस लेकर ब्लैकबोर्ड पर कुछ लिखने ही जा रही थी कि देखा स्कूलका चपरासी महेश क्लास की चौखट पर खड़ा है ।उसे देख कर अंदर आने की इजाज़त दी कोमल ने । भीतर आकर उसने एक लिफ़ाफ़ा थमाया और कहा कि - मिस सिस्टर ने भिजवाया है ।ठीक है, कह कर कोमल ने लिफ़ाफ़ा अपने टेबल पर रख दिया और बच्चों को को सांइस का न्यू चैप्टर निकालने को कहा । आज पढ़ानेमें ज़रा मन नहीं लग रहा था कोमल का,पर अपनी ड्यूटी में वह कभी कोताही नहीं बरतना चाहती थी , सो पीरियड ओवर होने तक लेसनपर कांसंट्रेट करती रही ।बेल रिंग होते ही सबसे पहले कोमल ने सिस्टर का भेजा लिफ़ाफ़ा खोला , लेटर में लिखा था कि किन्हीं ख़ास कारणों से आपकी सेवाको इस सेशन के बाद डिसकंटीन्यू किया जाता है । यानि तीन महीने बाद कोमल ने हिसाब लगाया , इसके आगे पढ़ने की कोमल हिम्मतनहीं जुटा सकी सो उसने क्लास की अटेंडेंस रजिस्टर, होमवर्क कॉपियों वग़ैरह को उठाया और अगली क्लास लेने चल दी ।जाने से पहलेक्लास-मॉनिटर को ब्लैकबोर्ड साफ़ करने का आदेश देना ना भूली ।कॉरिडोर में उसकी सहकर्मी और सहेली निकिता गुप्ता मिली , कोमल का उतरा हुआ चेहरा देखकर उसने पूछा - क्या बात है कोमल ? तेरी तबियत तो ठीक है ? हाँ ठीक है ।पर अपनी सूरत तो देखो , कैसी हवाईयाँ उड़ रही हैं....बात ही कुछ ऐसी है निकी , चल रिसेस में तुझसे बात करती हूँ । कहती हुई कोमल अपनी अगली क्लास लेने चली गई ।टिफ़िन टाइम सारी स्टाफ़ कॉमन रूम में आ चुकी थीं । सभी खाने - पीने और गप्पों में मशग़ूल थे।कोमल ने भी अपना टिफ़िन खोला औरचुपचाप सर झुकाकर कुछ देर सोचती रही । वो यह भी भूल गई कि मिसेज़ कार के लिए टिफ़िन में कुछ लाई है वो तो दीदी जब चाय काकप टेबल पर रख गई तब कोमल की तंद्रा टूटी , तब चाय के साथ पराठे का एक निवाला मुँह में लिया ही था कि निकिता आकर उसकेपास बैठ गई । उसके तो जैसे पेट में दर्द हो रहा था ये जानने के लिए कि आख़िर माजरा क्या है ? तभी तो आते ही निकिता ने कोमल सेपूछा - अब बता भी कि क्यों तू इतनी उदास है ? कोने में बैठी निकिता और कोमल की ख़ुसर -पुसर से पूरा स्टॉफ- रूम अनजान था।तभी पूरे इत्मिनान से दोनों बातें कर पा रहीं थीं ।निकिता यहाँ इस माहौल में सरवाइव करना बहुत मुश्किल है । प्रिंसिपल कान की इतनी कच्ची होंगीं मैं सोच भी नहीं सकती ।उन्होंने कलमुझे ऑफिस में बुला कर कहा कि - मैं स्कूल के नियम तोड़ रही हूँ , स्टॉफ - रूम में बाहर के सामान बेचती हूँ और बच्चों के होम-वर्क, क्लास वर्क को प्रॉपरली चेक नहीं करती , बहुत ही केयरलेस टीचर हूँ ।वैसे भी इसी सेशन के बाद ही मैं परमानेन्ट होती , तो शायदसिस्टर इसका फ़ायदा ले रही हैं । बिना छान-बीन के मुझ पर झूठा इल्ज़ाम ठोक रही हैं । किसी ने मेरी शिकायत की और उन्होंने मानलिया ।ये देखो लेटर भी भिजवा दिया , जैसे पहले से ही छपवा कर रखवा लिया हो , कह कर कोमल ने बुरा सा मुँह बना लिया ।अरे , पर ये काम तो चुपके -चुपके कृति मिस करती हैं और जबसे ये सिस्टर आईं हैं पूरी तरह से सब स्टॉफ को सिस्टर को बताने से मनाभी किया है । वैसे तो उनको भी कोई सपोर्ट नहीं करता पर चूँकि उनकी माँ की हालत नाज़ुक है और वे पुरानी टीचर भी हैं तो कोई उनकेख़िलाफ़ नहीं बोलता पर इसका मतलब ये तो नहीं कि दूसरे को बेबात विक्टिम बना दें कोई ? निकिता ने अपनी आपत्ति दर्ज़ की।निकी सिस्टर को भनक तो है कोई स्टॉफ , स्टॉफ रूम में स्कूल के नियम के विरुद्ध काम कर रहा है , पर ये इल्ज़ाम मुझ पर ही क्योंआया ये मेरी समझ से बाहर है ।पर कोमल तुम्हें अपना पक्ष सिस्टर के सामने ज़रूर रखना चाहिए । तेरी अपाइंटमेंट एड-हॉक है इसका अर्थ ये तो नहीं कि कोई बेसिरपैरके इल्ज़ाम तुझ पर थोप दे ।निकी यदि मैं कृति मिस का नाम बता दूँ तो हो सकता है उनकी नौकरी चली जाए , जबकि हम सभी जानते हैं कि उन्हें पैसों की बेहदज़रूरत है । प्राइवेट स्कूल है , किसी की भी नौकरी का भरोसा नहीं ।इसका अर्थ ये है कि तू यह झूठा इल्ज़ाम अपने सिर ले लेगी ? देखो , निकी प्रतिवाद तो मैं कर ही सकती हूँ पर सच पूछो तो सिस्टर के साथ मेरी निभेगी नहीं और दीगर बात यह है कि सच्चाई जाननेपर कृति मिस को तो फ़ायर करेंगीं ही , ये तो पक्का है और फिर फ़ादर प्रिंसिपल तक भी बात ज़रूर पहुँचेगी । मैं कुछ दिन इंतज़ार करसकती हूँ पर कृति बहुत परेशानी में पड़ जाएगी यदि उसे घर बैठना पड़े तो ।मतलब तू बलि का बकरा बनेगी, जो इच्छा हो कर । पर ये सही नहीं है । सच सबके सामने आना ही चाहिए ।जाने दे निकी । मैंने जो सोचा है उसके पीछे एक सही सोच है , और वैसे भी सिस्टर के दबाव में रह कर काम करना मुश्किल है मेरे लिए ।मुझे वे क्या अपना रौब दिखायेंगी, मैं ख़ुद कल ही नौकरी से इस्तीफ़ा दे दूँगी ।दूसरे दिन , कोमल स्कूल पहुँचते ही सबसे पहले प्रिंसिपल रूम में गई वहाँ देखा कि सिस्टर अपने आफिस में नहीं हैं । क्लर्क जेनी सेपता लगा कि वे आज कैज़ुअल लीव पर हैं । ये जानकर कोमल ने अपना रेज़िगनेशन लेटर सिस्टर के टेबल पर रखा और चुपचाप बिनाकुछ बोले , वग़ैर किसी से मिले मेन गेट की ओर बढ़ गई ।स्कूल से बाहर आकर अपने छलछलाते आँसू पोंछ कर रिक्शा लिया और घरकी ओर बढ़ गई , बहुत हल्के मन से क्योंकि उसके दिल पर किसी भी तरह का बोझ नहीं था , ना ही कोई पछतावा ।नाम ~ अमृता सिन्हाजन्म ~ 6 जुलाई शिक्षा ~ पोस्ट ग्रेजुएट, पटना विश्वविद्यालयसम्प्रति ~ गृहिणी/स्वतंत्र लेखन, राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में परिकथा, प्रभात - ख़बर , बिजूका , हिन्दुस्तान , उद्भावना , चिंतन दिशा , जानकी-पुल , साहित्य-समर्था , दोआबा, कथादेश, नवनीत, युग-तेवर आदि में रचनाएँ प्रकाशित तथा आकाशवाणी मुंबई से रचनाओं का प्रसारण ।