यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (10) - अन्तिम भाग Asha Saraswat द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Nishchhal prem by Asha Saraswat in Hindi Novels
छोटे-छोटे बल्बों की झालरों से घर और दरवाज़े झिलमिला रहे थे ।जैसे हर नन्हा बल्ब दुल्हन की ख़ुशी का इज़हार कर रहा हो।मैं उन्हें निहारकर उनमें अपनी मॉं क...