एक यात्रा समानान्तर - 3 - अंतिम भाग Gopal Mathur द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Ek Yatra Samanantar by Gopal Mathur in Hindi Novels
वह घिसटने लगती है. सारा थकान हमेशा पाँवों में ही क्यों उतर आती है ? कन्धे पर लटका छोटा सा बैग भी बोझ लगने लगता है. थकान.... टूटन...... भीतर ही भीतर कु...