एक दुनिया अजनबी - 34 Pranava Bharti द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Ek Duniya Ajnabi by Pranava Bharti in Hindi Novels
ऊपर आसमान के कुछ ऐसे छितरे टुकड़े और नीचे कहीं, सपाट, कहीं गड्ढे और कहीं टीलों वाली ज़मीन | गुमसुम होते गलियारे और उनमें खो जाने को आकुल-व्याकुल मन ! पत...