राग का अंतर्राग - 3 - अंतिम भाग Amita Neerav द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Raag ka antraag by Amita Neerav in Hindi Novels
कमरे में सुबह की हल्की-सी रोशनी आ रही थी। बड़े शहरों के फाइव स्टार अपार्टमेंट में खिड़कियाँ तो बड़ी-बड़ी होती है, लेकिन उन पर पर्दे भी उतने ही मोटे पड...