जनजीवन - 4 Rajesh Maheshwari द्वारा Poems में हिंदी पीडीएफ

Janjeevan by Rajesh Maheshwari in Hindi Novels
इतनी कृपा दिखना राघव, कभी न हो अभिमान,

मस्तक ऊँचा रहे मान से, ऐसे हों सब काम।

रहें समर्पित, करें लोक हित, देना यह आशीष,

विनत भाव से प्रभु चरण...