राम रचि राखा - 5 - 2 Pratap Narayan Singh द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Ram Rachi Rakha by Pratap Narayan Singh in Hindi Novels
दोपहर हो चुकी थी। ध्रुव को सुलाकर मैं आफिस के लिए तैयार होने लगी थी। शान्ति खाना बना रही थी। तभी कालबेल बजा। कौन आ गया इस समय...सोचते हुए मैने दरवाजा...