इंतज़ार दूसरा - 3 Kishanlal Sharma द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

intzaar dusra by Kishanlal Sharma in Hindi Novels
दामोदर गर्दन झुकाये हुए मन ही मन मे कुछ सोचता हुआ चला जा रहा था।तभी उसे हंसने की आवाज सुनाई पड़ी।खनखनाती हंसी सुनकर उसे ऐसा लगा, मानो किसी ने सुराई नुम...