एक ही भूल, अंतिम भाग (४) Saroj Prajapati द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Ek hi bhool by Saroj Prajapati in Hindi Novels
तुम्हारी इस नौकरी ने तो हमे खानाबदोश बनाकर रख दिया है। हर तीन चार साल बाद उठाओ समान और चल दो दूसरी जगह । ये भी कोई जिंदगी है?" सीमा सामान खोलते हुए बो...