अँधेरे का गणित - 3 - अंतिम भाग PANKAJ SUBEER द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Andhere ka ganit by PANKAJ SUBEER in Hindi Novels
अँधेरे का गणित (कहानी पंकज सुबीर) (1) मुँबई जैसे महानगर में जहाँ लोकल ट्रेनें सुबह, दोपहर, शामें अपनी पीठ पर ढोती हैं। वो भला क्या कर रहा है? आईना उसस...