कच्चा गोश्त - 2 - अंतिम भाग Zakia Zubairi द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Kachcha Gosht by Zakia Zubairi in Hindi Novels
कच्चा गोश्त ज़किया ज़ुबैरी (1) बित्ते भर का क़द और दस गिरह लम्बी ज़बान!... और जब यह ज़बान कतरनी की भांति चलती तो बृज बिहारी बहादुर भी बगलें झांकते दिख...