मुर्दे की जान ख़तरे में - 2 अनिल गर्ग द्वारा Detective stories में हिंदी पीडीएफ

Murde ki jaan khatre me by अनिल गर्ग in Hindi Novels
अशोक विहार की कोठी में जब मैंने कदम रखा तो उस समय बंसल साहब की लाश ड्राइंग रूम में बिलकुल बीचोंबीच पड़ी हुई थी। पुलिस की फोरेंसिक टीम अपने काम में लगी...