हूक - 2 Divya Shukla द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Huk by Divya Shukla in Hindi Novels
आज मेरी सुबह कुछ जल्दी हो गई कुछ देर बाहर लान में टहलती रही फिर चाय की तलब लग आई अख़बार अभी आया नहीं था, सोचा चाय बना लूँ तब तक आ ही जायेगा, अभी सब सो...