महत्वाकांक्षा - 3 Shashi Ranjan द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Mahatvakansha by Shashi Ranjan in Hindi Novels
साक्षात्कार के बाद कोलकाता से खुशी खुशी मैं वापस लौट रहा था । राजधानी एक्सप्रेस के प्रथम श्रेणी के जिस केबिन में मैं चढा, उसमें पहले से एक और आदमी मौज...