धरना - 2 Deepak Bundela AryMoulik द्वारा Classic Stories में हिंदी पीडीएफ

DHRNA by Deepak Bundela AryMoulik in Hindi Novels
शाम हों चली थी, सूरज वसुंधरा को कल आने का वादा करके जा चूका था.. शहर की सड़कों पर दिन की अपेक्षा शाम कुछ ज्यादा ही रंगीन दिखाई देने लगी थी... कहते हैं...