राहबाज - 14 - अंतिम भाग Pritpal Kaur द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Raahbaaz by Pritpal Kaur in Hindi Novels
मेरी राह्गिरी (1) शुरुआत मैंने वक़्त की धार में एक पैर छुआ कर देखा था और मेरा पैर दहक गया था बुरी तरह. ये नदी मेरी ख्वाहिशों ने गढ़ी थी. मैं नींद में डू...