मुख़बिर - 4 राज बोहरे द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Mukhbir by राज बोहरे in Hindi Novels
मैंने इस बार शायद गलत जगह पांव रख दिया था। पांव तले से थोड़ी सी मिट्टी नीचे को रिसकी थी, जिससे हल्की सी आवाज हुई। मुझे लगा, मेरी गलती से शोर पैदा हो रह...