कहानी में रोहित और सीमा एक दंपति हैं जो अपने पहले बच्चे के नाम पर चर्चा कर रहे हैं। रोहित केवल बेटे की चाहत रखता है और जब उसे पता चलता है कि गर्भ में लड़की है, तो वह अबॉर्शन कराने की बात करता है। सीमा इसके खिलाफ है और कहती है कि बेटियों की भी अहमियत होती है। अस्पताल में एक बहस छिड़ जाती है, जहां रोहित अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त करता है। वह समाज की बुराइयों और बेटियों के प्रति अत्याचारों का जिक्र करते हुए कहता है कि वह एक बेटी को इस खतरनाक समाज में नहीं लाना चाहता। कहानी समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव और उनकी सुरक्षा की समस्या को उजागर करती है।
बेटा ही होगा...
by Sarvesh Saxena
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Hindi Moral Stories
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Description
दोस्तों, कभी कभी मेरे दिमाग मे कई बार सवाल आते हैं, जिनका जवाब मैं समाज से पूछना चाहता हूं |दोस्तों आज मैं अपने इन प्रश्नों और विचारों को कहानी का रूप देकर आप लोगों के साथ शेयर कर रहा हूं, तो आइए चलते हैं..... रोहित - "अरे सीमा सुनो, क्या तुमने कोई हमारे बच्चे के लिए नाम सोचे हैं" ? सीमा ने मेज पर चाय रखते हुए कहा, "हां मैंने बहुत नाम सोचे है, तुम चाहो तो डायरी में पढ़ सकते हो, कुछ लड़की के और कुछ लड़के दोनों के नाम मैंने लिख रखे हैं, तुम्हें जो पसंद आए उन पर टिक
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