कहानी "अनुराधा" के इस भाग में, विजय की मां चिंतित हैं क्योंकि उनका बेटा कुमार नहीं आया। विजय उन्हें बताता है कि कुमार उस व्यक्ति से लड़ाई के बाद पाताल में छिप गया है और वह अपनी मौसी के पास है। मां को यह सुनकर चिंता होती है कि कुमार मौसी के प्यार में फंस गया होगा। विजय मां को समझाने की कोशिश करता है कि वह खुद मौसी के पास से आया है और कुमार किसी तरह वापस नहीं आ रहा था। मां का संदेह दूर नहीं होता और वह यह मानती हैं कि गांव की लड़कियां चालाक होती हैं। विजय मां को याद दिलाता है कि वह खुद गांव की हैं और शहर की लड़कियों पर विश्वास करती हैं। मां अपने दुख को व्यक्त करते हुए कहती हैं कि गांव अब पहले जैसा नहीं रहा। विजय सहमत होता है लेकिन उसे उम्मीद है कि मां और उनकी पीढ़ी के कारण गांव की परंपराएं बनी रहेंगी। कहानी यह दिखाती है कि समय के साथ चीजें कैसे बदलती हैं और पारिवारिक संबंधों की जटिलताएं कैसे उभरती हैं। विजय अंत में ऑफिस के काम से जाने की बात कहता है।
अनुराधा - 7 - अंतिम भाग
by Sarat Chandra Chattopadhyay
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Hindi Moral Stories
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Description
कुमार नही आया, यह सुनकर विजय की मां मारे भय के कांप उठी ‘यह केसी बात है रे? जिसके साथ लडाई है उसी के पाक लड़के को छोड़ आया?’ विजय ने कहा, ‘जिसके साथ लड़ाई थी वह पाताल मे जाकर छिप गया है। मां, किसकी मजाल है जो उसे खोज निकाले। तुम्हारा पोता अपने मौसी के पास है। कुछ दिु बाद आ जाएगा।’ ‘अचानक उसकी मौसी कहां से आ गई?’q
लड़की के विवाह योग्य आयु होने के सम्बन्ध में जितना भी झूठ बोला जा सकता है, उतना झूठ बोलने के बाद भी उसकी सीमा का अतिक्रमण किया जा चुका है और अब तो विव...
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