प्रकृति मैम- बढ़ रही थी उम्र Prabodh Kumar Govil द्वारा Biography में हिंदी पीडीएफ

Nature mam by Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
अरे सर, रुटना रुटना ...अविनाश दौड़ता-चिल्लाता आया।
-क्या हुआ? मैं पीछे देख कर चौंका।
-सर, टन्सेसन मिलेडा।
-अरे कन्सेशन ऐसे नहीं मिलता। मैंने लापरवाह...