लोभिन - 2 Meena Pathak द्वारा Moral Stories में हिंदी पीडीएफ

Lobhin by Meena Pathak in Hindi Novels
वह सूनी आँखों से टुकुर-टुकुर पंखे को देख रही थी..आँखें धँस गयीं थीं..शरीर हड्डियों का पिंजर बन गया था..चमड़ी झूल कर लटक गयी थी..सिर पर सफ़ेद बालों की खू...