खूँटे - 2 Kusum Bhatt द्वारा Short Stories में हिंदी पीडीएफ

Khunte by Kusum Bhatt in Hindi Novels
‘‘मुझे हवा के घूँट पीने हैं....’’ आवाज झमक कर चेतना में गिरती है... सफेद पिलपिले हाथों से चेहरा घुमाने लगा है बेताल - सीधे..... ‘‘लिजलिजे स्पृश के बोझ...