ख़्वाबगाह - 2 Suraj Prakash द्वारा Fiction Stories में हिंदी पीडीएफ

Khwabgah by Suraj Prakash in Hindi Novels
एक बार फिर विनय का फोन। अब तो मैं मोबाइल की तरफ देखे बिना ही बता सकती हूं कि विनय का ही फोन होगा। वह दिन में तीस चालीस बार फोन करता है। कभी यहां संख्य...