यह कहानी जीवन के जन्म और मृत्यु के संकेतों के माध्यम से जीवन की अनिश्चितता और उसकी क्षणभंगुरता को दर्शाती है। लेखक का कहना है कि जीवन के प्रति समर्पण और आस्था इसे जीने के तरीके को निर्धारित करते हैं। मनुष्य अपने गर्व और विवेकहीनता के कारण अपनी मानवीय गुणों को छोड़कर दानवीय गुणों को अपनाने लगता है, जिससे उसका नैतिक विवेक नष्ट हो जाता है। आज का समाज एक जंगली शिकारी जानवरों के समूह की तरह हो गया है, जहाँ लोग एक-दूसरे के प्रति संवेदनहीन हो गए हैं। मानवीय आदर्शों और संबंधों का मूल्य कम हो गया है। यह प्रश्न उठता है कि जीवन का उद्देश्य क्या है - क्या यह केवल स्वार्थ साधना तक सीमित है, या हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन और सही मूल्यों का संरक्षण करना चाहिए? लेखक यह सुझाव देता है कि जीवन का उद्देश्य इतना छोटा नहीं हो सकता। हमें अपने अनुभवों का उपयोग करके आने वाली पीढ़ियों को एक व्यवस्थित और शांतिपूर्ण जीवन बिताने का अवसर देना चाहिए। यही मानवीय जीवन का सही उपयोग और समाज का उचित उद्देश्य है।
उजड़ता आशियाना - जीवन पथ - 4
by Mr Un Logical in Hindi Magazine
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Description
किसी ने क्या खूब कहा है।जन्म हुआ तो मैं रोया और लोग हँसे, मौत आयी तो सब रोये मैं चैन से सोता रहा।ऊँची नीची जीवन पथ पर चलते चलते, हँसते रोते जन्म मरण का केल चला।जीवन की प्रति समर्पण और आस्था जीवन के स्वरूप को निश्चित करती है। हम इसे जिस रूप में जीना चाहते
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