गोरा - 2 Rabindranath Tagore द्वारा Fiction Stories में हिंदी पीडीएफ

Gora by Rabindranath Tagore in Hindi Novels
वर्षाराज श्रावण मास की सुबह है, बादल बरसकर छँट चुके थे, निखरी चटक धूप से कलकत्ता का आकाश चमक उठा है। सड़कों पर घोड़ा-गाड़ियाँ लगातार दौड़ रही हैं, फेर...