कहानी "मर्यादा" में महारानी अरुंधती अपने महल की खिड़की पर खड़ी हैं, जहां बसंत का मौसम और ठंडी हवा उन्हें रोमांचित कर रही है। उन्होंने महाराज अजित सिंह से विवाह किया है, जो उनकी उम्र से दोगुने हैं। महाराज की पहली रानी की मृत्यु के बाद, राज्य की उम्मीदें अब अरुंधती पर टिकी हैं, लेकिन कई सालों के बाद भी वे संतान नहीं दे पाईं। इस कारण महाराज चिंतित हैं और राज्य में लोग विभिन्न चर्चाएं करने लगे हैं। एक दिन, महाराज ने अरुंधती से कहा कि उन्हें सुजान सिंह, जो उनके चचेरे भाई और सेनापति हैं, के साथ एक संतान उत्पन्न करने की आवश्यकता है। यह सुनकर अरुंधती को झटका लगता है और वह इस प्रस्ताव पर गहन विचार करती हैं। वह अपने पति की परेशानी को समझती हैं लेकिन किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध बनाने की बात उन्हें अपमानजनक लगती है। कई दिनों की सोच-विचार के बाद, अंततः उन्होंने राज्य और पति के भले के लिए इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इस निर्णय के साथ ही, उनकी कोख में जीवन का बीज रोपित होता है और उनके हृदय में एक नया अंकुर फूटता है। यह कहानी विवाह, त्याग, और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच के संघर्ष को दर्शाती है।
मर्यादा
by Ashish Kumar Trivedi
in
Hindi Short Stories
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Description
एक प्रश्न उसके मन में उठा क्या होता अगर महाराज इस अवस्था में होते। यदि उन्होंने भी मर्यादा लांघी होती। क्या उन्हें भी इस प्रकार दोषी ठहराया जाता।
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