पराभव - भाग 17 Madhudeep द्वारा Fiction Stories में हिंदी पीडीएफ

Parabhav by Madhudeep in Hindi Novels
"मैं तो अब कुछ ही क्षणों का महेमान हूँ श्रद्धा की माँ!" कहते हुए सुन्दरपाल की आवाज लड़खड़ा गई| "ऐसी बात मुँह से नहीं निकालते श्रद्धा के बापू...