यह कहानी ओम दत्त और उसकी बेटी नमिता की है। ओम दत्त की पत्नी का निधन होते समय नमिता केवल दो साल की थी। गाँव और परिवार वालों ने ओम दत्त से दूसरी शादी करने की सलाह दी, लेकिन उसने मना कर दिया। ओम दत्त ने अपनी बेटी को माँ के प्यार की कमी महसूस नहीं होने दी और उसे अपने तरीके से पाला। वह एक शिक्षित और मेहनती किसान था, जिसने नमिता की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। नमिता ने प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई की और हर कक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त की। जब गाँव में केवल पाँचवी कक्षा तक स्कूल था, तब ओम दत्त ने उसे तीन किलोमीटर दूर आठवीं कक्षा के स्कूल में दाखिला दिलवाया। नमिता ने वहाँ भी अच्छे अंक प्राप्त किए। फिर ओम दत्त ने उसे एक बालिका विद्यालय में दाखिला दिलवाया, जहाँ छात्रावास की सुविधा थी। नमिता ने छात्रावास में रहकर पढ़ाई जारी रखी और बारहवीं कक्षा पास करने के बाद विश्वविद्यालय में स्नातक और वकालत की पढ़ाई पूरी की। यह कहानी पिता-पुत्री के अटूट बंधन और शिक्षा के महत्व को दर्शाती है।
बेटियों के लिए
by Ved Prakash Tyagi
in
Hindi Short Stories
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Description
डौटेर्स वीक के उपलक्ष में सभी बेटियों को समर्पित है ये कहानी जो एक बेटी के त्याग, तपस्या और समझदारी की मिसाल है, उसका आदर्श जीवन सभी के लिए एक प्रेरणा है
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