और इधर शहर के पत्रकारों रमेंद्र जी, दयाल जी, पी चौबे आदि की सारी रामकहानी सुमन जी से सुनकर ...
प्रसाद जी ने एक विद्यालय संचालक शकर सर की दबंगई का राज खोलते हुए कहा- जानते हैं शंकर सर ...
समझता तो वह भी था कि जीवन इससे चलनेवाला नहीं, लेकिन यह समझदारी किसी काम की नहीं थी। वह ...
सिन्हा जी – ‘बाजार में अपने स्पेस को लोकेट किए बिना आप कहीं नहीं रह सकते। अखबार अपने ढंग ...
जले-भुने प्रसाद जी एक दिन सिन्हा जी से कहते हैं – ‘जानते हैं बास, अब बहुत जल्द हम सभी ...
लोगों को क्या मालूम कि सिन्हा जी चाट रहे हैं या झेल रहे हैं कोई फोड़ा जो फूटने का ...
दुबारा शाम को भी सिन्हा जी उसी का प्रवचन सुनते हुए दफ्तर जाते। अखबार के दफ्तर में पांव पड़ते ...
पाठकों की आश्वस्ति के लिए मैं यह हलफनामा नहीं दे सकता कि कहानी के पात्र, घटनाक्रम, स्थान आदि काल्पनिक ...