Umashankar Ji Books | Novel | Stories download free pdf

Nafrat e Ishq - Part 12

by Umashankar Ji
  • 921

मनीषा के दिमाग में सहदेव की बेवफाई का हर एक दृश्य स्पष्ट था। रात भर उसने करवटें लीं, उसकी ...

Nafrat e Ishq - Part 11

by Umashankar Ji
  • 1.8k

मनीषा अपने कमरे में लेटी हुई थी। उसके मन में विचारों का सैलाब था। तकिए को कसकर पकड़ रखा ...

Nafrat e Ishq - Part 10

by Umashankar Ji
  • 1.1k

सहदेव के कमरे में सन्नाटा पसरा हुआ था। खिड़की के बाहर बहती हवा की सरसराहट और दीवार घड़ी की ...

Nafrat e Ishq - Part 9

by Umashankar Ji
  • 951

सहदेव अपने कमरे में बैठा था, लेकिन उसका दिमाग उस पत्र के इर्द-गिर्द घूम रहा था। काव्या की कॉल ...

Nafrat e Ishq - Part 8

by Umashankar Ji
  • 1.1k

कैफे के बाहर आते वक्त सहदेव ने आखिरी बार काव्या की ओर देखा। उसकी मुस्कान हल्की मगर गहरी थी, ...

Nafrat e Ishq - Part 7

by Umashankar Ji
  • 1.2k

तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब भी सहदेव के ज़हन में ...

Nafrat e Ishq - Part 6

by Umashankar Ji
  • 1.3k

पिछले अध्याय में:शाम के सात बज चुके थे और ऑफिस में पार्टी का माहौल था, क्योंकि सभी कर्मचारियों को ...

Nafrat e Ishq - Part 5

by Umashankar Ji
  • 1.5k

अंधेरे में डूबी हुई सड़क पर एक काली BMW तेजी से हॉस्पिटल की ओर बढ़ रही थी। अचानक ब्रेक ...

Nafrat e Ishq - Part 4

by Umashankar Ji
  • 1.6k

फोन कॉल खत्म करके मनीषा ने अपने विचारों को संयत किया और अपने केबिन में गहरी सांस लेते हुए ...

Nafrat e Ishq - Part 3

by Umashankar Ji
  • 1.8k

जैसे ही मनीषा ने अपने अंदर की उथल-पुथल को काबू में करने की कोशिश की, उसके दिल में एक ...