स्याह रातों की सुबह काॅफी हाउस के एक टेबल पर वे दोनों आमने-सामने बैठे हुए थे। ध्यान से देखा ...
साला फटीचर आज काम का बोझ बहुत ज्यादा था, आलोक को मानो साँस लेने की भी फुर्सत नहीं ...
प्रिय दीदीचौंक गई न? तुमने तो कभी सोंचा तक नहीं होगा कि मैं तुम्हें पत्र लिखूँगी। पर एक बात ...
कालचक्र उस दिन अचानक आशीष का फोन आया। न जाने कितने समय बाद उसकी आवाज़ कान में पड़ी थी। ...
कौआ मुँडेर पर लेखिका : श्रुत कीर्ति अग्रवाल मुँडेर पर कौआ काँए-काँए किये जा रहा था। मन अनसा गया ...
अाने को तो वह गाँव आ गये थे, पर मन बिल्कुल झल्लाया हुआ था । अक्सर वो इस बात ...