१. पत्थर दिल डर के बिना कठोरता का कोई अस्तित्व ही नहींपर कठोरता को निष्ठुरता या निर्दयता तुम समझना ...
१. स्त्रीत्वपूछता हूं मैं जग से आज ललकार कर क्या करते हो संदेह तुम उस अद्वितीय फनकार परहस्तक्षेप इस ...
हम भले ही रुक जाये परन्तु समय , समय तो अपनी निश्चित गति से विचरण कर रहा है बिना ...
मैं श्रद्धानंद कैसे बना?गुरुकुल का दृश्य : (संध्या का समय) दो विद्यार्थी कृपाल व विभु दाईं ओर से किसी ...
आह्वान प्रेम का 1. बड़े शातिर हो तुम, जोयूं जा रहे हो मुझे इश्क की लत लगाकरपर क्या जताना ...
"कुएं का मेंढक” तीन कविताओं का संग्रह है. क्या है, कैसी है यह तो आप पाठकगण ही बताएं तो ...
आह्वान प्रेम का1. तेरी यादों को मैं कितना भुलाऊं,बेझिझक चली आती है चाहे मैं बुलाऊं या न बुलाऊं और ...
मंगसिर(मार्गशीर्ष/अगहन) का महीना अब दिनों की डोर पोह(पौष/पूस) को पकड़ाने वाला था। ठंड भी धीरे–धीरे अपने पैर पसार चुकी ...
राधेश्याम का घर . राधेश्याम की बैठक, जिसके बाएं ओर के कपाट से घर के बाहर का रास्ता है ...
ताऊ राम सिंह का कच्चा घर जो कभी किसी महल से कम नहीं हुआ करता था। कितनी ही गौरैया,गुरसल ...